विवेक अग्निहोत्री ने बयान की बॉलीवुड की इनसाइड स्टोरी, कहा- जो आप देखते हैं वो असली नहीं

फेमस बॉलीवुड फिल्म डायरेक्टर, स्क्रीन राइटर, ऑथर और एक्टिविस्ट विवेक रंजन अग्निहोत्री सोशल मीडिया पर काफी एक्टिव रहते हैं। हाल ही में उन्होंने अपने टि्वटर अकाउंट पर एक के बाद एक कई पोस्ट शेयर करते हुए बॉलीवुड पर निशाना साधा है। बॉलीवुड का काला सच बयान करती विवेक की इस पोस्ट पर इंटरनेट यूजर्स अलग-अलग प्रतिक्रियाएं दे रहे हैं।

विवेक ने अपनी पोस्ट में लिखा- बॉलीवुड- द इनसाइड स्टोरी: ‘मैंने अब यह समझने के लिए बॉलीवुड में काफी साल बिताए हैं कि यह कैसे काम करता है। जो आप देखते हैं वह बॉलीवुड नहीं है। असली बॉलीवुड अपने गहरे सहयोगियों में पाया जाता है। इसका निचला भाग इतना काला है कि एक आम आदमी के लिए थाह पाना नामुमकिन है। आइए इसे समझते हैं:

इस अंधेरे में आप टूटे हुए सपने, कुचले हुए सपने, दबे हुए सपने देख सकते हैं। बॉलीवुड अगर टैलेंट का म क ब रा है तो टैलेंट का शमशान भी है। यह अस्वीकृति के बारे में नहीं है। जो कोई भी यहां आता है, वह जानता है कि अस्वीकृति सौदे का हिस्सा है।’

उन्होंने लिखा, ‘आगे यह अपमान और शो ष ण है जो किसी भी तरह की मानवता में कोमल सपनों, आशाओं और विश्वास को तोड़ देता है। भोजन के बिना जीवित रह सकता है लेकिन सम्मान, आत्म-मूल्य और आशा के बिना जीना असंभव है। कोई भी मध्यमवर्गीय युवा उस स्थिति में होने की कल्पना करके कभी बड़ा नहीं हुआ।’

विवेक आगे लिखते हैं, ‘यह इतना जोर से मारता है कि कोई लड़ाई करने के बजाय हार मान लेता है। भाग्यशाली हैं वे जो घर वापस चले जाते हैं। जो रह जाते हैं, अलग हो जाते हैं। जो लोग कुछ सफलता तो पाते हैं लेकिन असली नहीं, वे श रा ब और हर तरह की जीवन-हानिकारक चीजों में शामिल हो जाते हैं। अब उन्हें पैसे की जरूरत है।

इसलिए, उन्हें हर तरह के मजेदार पैसे से परिचित कराया जाता है। कुछ सफलता सबसे ख त र नाक होती है। आप बिना किसी आय और शक्ति के शोबिज में हैं। आपको स्टार की तरह दिखना है, स्टार की तरह पार्टी करना है, स्टार की तरह पीआर करना है लेकिन आप स्टार नहीं हैं।’

विवेक अपनी अगली पोस्ट में लिखते हैं, ‘अपने आप को एक गैं गस्टा यहूदी बस्ती में कल्पना करना होता है, जहां आपको बिना बंदू क या चा कू के एक गैं ग स्टर की तरह व्यवहार करना होगा। यह वह जगह है जहां आप अपमान के लिए खुले हैं। इंस्टाग्राम फ्री नहीं है। यह शूटिंग के लिए पैसे की मांग करता है, अच्छा दिखता है, व्यस्त लगता है।

मान्यता की यह खोखली दौड़ आपको वापस वहीं ले आती है जहां से आपने शुरुआत की थी- डार्क होल, जो हर दौड़ के साथ और गहरा होता जाता है। तुम दिखावा करो, कोई नहीं देखता। तुम चिल्लाते हो, कोई नहीं सुनता। तुम रोओ, किसी को परवाह नहीं है। आप जो कुछ भी पाते हैं वह आप पर हंसने वाले लोगों से घिरा होता है।’

अपने आखिरी पोस्ट में विवेक लिखते हैं, ‘आप अपने सपनों को दफनाते हैं, चुपचाप। लेकिन तब तुम लोगों को तुम्हारे सपनों की क ब्र पर नाचते हुए पाते हो। आपकी असफलता उनका उत्सव बन जाती है। तुम चल रहे एक म रे हुए आदमी हो। विडंबना यह है कि आपके अलावा कोई भी आपको म रा हुआ नहीं देख सकता। एक दिन, तुम सचमुच म र जाते हो। और फिर दुनिया आपको देखती है। समाप्त।’

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