महाभारत: जानिए सीरियल में ‘मैं समय हूं’ के पीछे किसकी आवाज है, बिना परदे पर आए चला दिया था जादू

लॉकडाउन ने 80 के दशक की यादों को ताजा कर दिया है। लॉकडाउन के बीच बीआर चोपड़ा का ऐतिहासिक टीवी धारावाहिक ‘महाभारत’ को दूरदर्शन पर पुन: प्रसारित किया जा रहा है। सेल्‍फ आइसोलेशन में घरों में कैद लोग इस धारावाहिक को बेहद शौक से देख रहे हैं। दोबारा पर्दे पर आने से अब इस धारावाहिक के सितारे भी चर्चा में आ गए हैं। ऐसे में आज हम आपको ‘महाभारत’ के उस किरदार से रूबरू करा रहे हैं जो कभी स्क्रीन पर दिखाई तो नहीं दिया, लेकिन सुनाई जरूर दिया। केवल अपनी आवाज के दम पर ही उसने लोगों के दिलों में जगह बनाई।

80 के दशक में बीआर चोपड़ा की ‘महाभारत’ शुरू होते ही महेंद्र कपूर की आवाज में ‘महाभारत कथा’ वाले टाइटल गीत के बाद ही अंधेरी सी स्क्रीन पर ‘समय’ की आवाज सुनाई देती थी। लोगों की जुबां पर पहली लाइन ‘मैं समय हूं’  रट गई थी। हर कोई ये जानने की इच्छा रखता था कि आखिर ‘महाभारत’ में बैकग्राउंड पर ‘मैं समय हूं’ कहने वाला ये किरदार कौन है?

इस चर्चित सीरि‍यल में ‘मैं समय हूं’ आवाज अभिनेता हरीश भिमानी ने दी थी। समय को अपनी आवाज देने वाले कलाकार हरीश भिमानी भारत के दिग्गज वायस ओवर (Voice Over) कलाकारों में से एक हैं। हरीश भिमानी की इस आवाज ने लोगों के ऊपर अपना जादू चला दिया था।

बताया जाता है कि सूत्रधार के लिए पहले दिलीप कुमार के नाम पर भी विचार किया गया था जो चोपड़ा कैंप के काफी करीब थे। लेकिन फिर तय किया गया कि ये काम किसी प्रोफेशनल वीओ कलाकार के साथ ही किया जाए। इसलिए कई सफल आर्टिस्ट की आवाज सुनने के बाद ही बीआर चोपड़ा, राही मासूम रजा और पंडित नरेंद्र शर्मा ने हरीश को चुना।

हरीश ने एक इंटरव्यू में बताया, ‘एक शाम मुझे महाभारत में शकुनी का रोल निभाने वाले और शो के कास्टिंग डायरेक्टर गूफी पेंटल का फोन आया कि रात 10 बजे बीआर के स्टूडियो में आ जाना कुछ रिकॉर्ड करना है’। हरीश ने कहा ‘गूफी जी मैं सात बजे के बाद रिकॉर्डिंग नहीं करता। इस पर गूफी पेंटल ने कहा ‘तू नखरे ना कर, बस सीधे आजा’। जब मैं स्टूडियो पहुंचा और मुझे एक कागज दिया गया। मैंने उसे पढ़ डाला, मैं उसे पूरा कर पाऊं उससे पहले ही मुझे बोला गया कि ये डॉक्यूमेंट्री जैसा लग रहा है। तो मैंने हां कहा और पूछा- क्या है ये, उन्होंने फिर भी मुझे नहीं बताया’। आमतौर पर हमारे व्यवसाय में ये बताया नहीं जाता कि क्या रिकॉर्ड होने वाला है, क्योंकि जब तक वो लोगों के सामने नहीं आता तब तक वो सीक्रेट होता है।

हरीश भिमानी ने आगे कहा, ‘लेकिन जब मुझे वहां से जाने को कहा गया। तब मुझे लगा कि शायद वो संतुष्ट नहीं हुए, और मैं सलेक्ट नहीं हुआ। हालांकि इसके दो-तीन दिन बाद मुझे फिर बुलाया गया और मैं दोबारा गया, मैंने 6-7 टेक्स दिए। इसके बाद उन लोगों ने मुझे सब समझाया और बताया कि कैसे समय को आवाज देनी है। लेकिन तीसरी बार भी हमें सफलता हासिल नहीं हुई।

तीसरी बार रिकॉर्डिंग के बाद मैंने एक सुझाव में कहा, ‘आप लोग कह रहे हैं कि मैं आवाज बदलूं, लेकिन अगर मैं आवाज बदलूंगा तो वो मजाकिया हो जाएगी। इसकी गंभीरता खत्म हो जाएगी’। फिर मैंने सुझाव दिया कि इसका टैम्पो बदला जाए तो उन लोगों ने कहा सुनाओ और जिसके बाद फिर मैंने आकाशवाणी के बीच का कुछ किया। फिर मैंने वैसे ही बोलना शुरू किया कि ‘मैं समय हूं’… और बस फिर वो ही फाइनल हो गया।’

हरीश भिमानी को मराठी डॉक्यू-फीचर ‘माला लाज वाटत नाही’ में सर्वश्रेष्ठ वीओ के लिए राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है।

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You cannot copy content of this page